
महिलाओं के खिलाफ अपराध और नए आपराधिक कानूनों पर चर्चा
चंडीगढ़, 27 अगस्त 2024- पंजाब विश्वविद्यालय के विधि विभाग के मूट कोर्ट हॉल में, प्रो. अनिल कुमार ठाकुर वाद-विवाद सोसाइटी के तत्वावधान में और सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड ड्यूटीज़ के सहयोग से "क्या नए आपराधिक कानून महिलाओं के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए सुसज्जित हैं?" विषय पर एक चर्चा आयोजित की गई, जिसमें आरजी कर अस्पताल की घटना को केंद्र में रखा गया।
चंडीगढ़, 27 अगस्त 2024- पंजाब विश्वविद्यालय के विधि विभाग के मूट कोर्ट हॉल में, प्रो. अनिल कुमार ठाकुर वाद-विवाद सोसाइटी के तत्वावधान में और सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड ड्यूटीज़ के सहयोग से "क्या नए आपराधिक कानून महिलाओं के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए सुसज्जित हैं?" विषय पर एक चर्चा आयोजित की गई, जिसमें आरजी कर अस्पताल की घटना को केंद्र में रखा गया।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. डॉ. नमिता गुप्ता, अध्यक्ष, सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड ड्यूटीज़, प्रो. डॉ. सुपिंदर कौर, समन्वयक, प्रो. अनिल कुमार ठाकुर वाद-विवाद सोसाइटी, प्रो. डॉ. शिप्रा गुप्ता और प्रो. डॉ. दिनेश कुमार, विधि विभाग ने की। पंजाब विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के छात्रों और संकाय सदस्यों ने इस चर्चा में भाग लिया। प्रो. डॉ. सुपिंदर कौर ने समाज में महिलाओं के प्रति हो रहे गंभीर अन्याय को उजागर करते हुए अपने प्रारंभिक विचार व्यक्त किए और छात्रों को चर्चा शुरू करने के लिए आमंत्रित किया।
छात्रों ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों और पुलिस की समस्याओं के बारे में बात की, जो कानूनों को सही तरीके से लागू करने में असफल हो रही हैं। समाज में शिक्षा की कमी और रूढ़िवादिता को लेकर भी चिंताएं व्यक्त की गईं। छात्रों ने समाज में पीढ़ीगत बदलाव लाने और लोगों को, विशेषकर युवाओं को संवेदनशील बनाने की वकालत की। चर्चा के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि बलात्कार केवल सामाजिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक मुद्दा भी है। छात्रों ने अपनी विविध अकादमिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे का सभी आलोचनात्मक और सुधारात्मक दृष्टिकोण से विश्लेषण किया।
इस कार्यक्रम का समापन प्रो. नमिता गुप्ता और प्रो. डॉ. दिनेश कुमार के विद्वत्तापूर्ण विचारों के साथ हुआ।
इस कार्यक्रम का प्रबंधन विधि विभाग के अंतिम वर्ष के छात्र दिव्यांशु गोयल और प्रेरणा चीमा द्वारा किया गया।
