भाषा विभाग पंजाब ने शेख फरीद जी की 850वीं जन्म शताब्दी को समर्पित एक साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया

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"सफलता का कोई रहस्य नहीं है। यह तैयारी, कड़ी मेहनत और विफलता से सीखने का परिणाम है।"
पटियाला, 6 नवंबर - मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व और उच्च शिक्षा एवं भाषा मंत्री हरजोत सिंह बैंस की देखरेख में मनाए जा रहे पंजाबी माह-2023 के कार्यक्रमों की श्रृंखला में आज भाषा विभाग पंजाब द्वारा शेख फरीद जी की 850वीं जन्म शताब्दी मनाई गई। एक समर्पित साहित्यिक सम्मेलन आयोजित किया गया।
पटियाला, 6 नवंबर - मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व और उच्च शिक्षा एवं भाषा मंत्री हरजोत सिंह बैंस की देखरेख में मनाए जा रहे पंजाबी माह-2023 के कार्यक्रमों की श्रृंखला में आज भाषा विभाग पंजाब द्वारा शेख फरीद जी की 850वीं जन्म शताब्दी मनाई गई। एक समर्पित साहित्यिक सम्मेलन आयोजित किया गया। जिस दौरान जगत गुरु नानक देव पंजाब स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी पटियाला के वाइस चांसलर डाॅ. करमजीत सिंह मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता शिरोमणि पंजाबी आलोचक डॉ. ने की। सुखदेव सिंह सिरसा ने किया। श्री गुरु ग्रंथ साहिब यूनिवर्सिटी फतेहगढ़ साहिब के पंजाबी विभाग के प्रमुख डाॅ. सिकंदर सिंह और पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के धार्मिक अध्ययन विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. गुरमेल सिंह ने बाबा फरीद जी की विचारधारा और बाणी के बारे में अपने विचार प्रस्तुत किये। इस अवसर पर भाषा विभाग के अतिरिक्त निदेशक डाॅ. वीरपाल कौर ने विभाग की गतिविधियों, योजनाओं और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और अतिथियों का स्वागत किया। इस मौके पर जनता को कुछ किताबें भी भेंट की गईं और कुछ हस्तियों को सम्मानित भी किया गया.
मुख्य अतिथि डाॅ. करमजीत सिंह ने भाषा विभाग द्वारा शेख फरीद जी की कविता और दर्शन पर आयोजित सेमिनार की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे महान व्यक्तित्वों को याद करने से हमारी सोच ऊंची हो जाती है. उन्होंने कहा कि सिख गुरुओं ने सोच-समझकर सूफियों, भट्टों और भगतों के छंदों को श्री गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल किया है, जो युगों-युगों से मान्य हैं, जिससे शेख फरीद जी के छंदों की प्रासंगिकता और व्यक्तित्व का अंदाजा लगाया जा सकता है। अपने अध्यक्षीय भाषण में डाॅ. सुखदेव सिंह सिरसा ने कहा कि शेख फरीद जी की पंक्ति को श्री गुरु ग्रंथ साहिब में उस समय शामिल किया गया था जब भारतीय क्षेत्र में उत्पीड़न और धर्मांतरण का दौर था और सत्ता के समर्थक एक नई संस्कृति के निर्माण में सक्रिय थे। लेकिन शेख फरीद जी की आयत में यह स्पष्ट है कि उन्हें सत्ता से दूर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि बाबा फरीद जी की पंक्ति लोगों के बीच विनम्रता, विचारशीलता और समानता का संदेश देती है।
विशेष वक्ता डाॅ. गुरमेल सिंह ने 'शेख फरीद जी की बानी दी धर्मशास्त्री पद्धति' विषय पर पेपर पढ़ा। उन्होंने शेख फरीद जी की बानी में प्रयुक्त प्रतीकों के बारे में विस्तार से बताया। डॉ। सिकंदर सिंह ने कहा कि भले ही फरीद जी के काल के बारे में 850 वर्ष कम लगें, लेकिन शेख फरीद जी की कविता से रचित संस्कृति अद्वितीय और शाश्वत है। उन्होंने कहा कि भारतीय क्षेत्र में कई लोग हमलावर बनकर आये और जुल्म के कारण भी लोगों का दिल नहीं जीत सके, लेकिन शेख फरीद अपनी कविता के माध्यम से एक शाश्वत छाप छोड़ने में सफल रहे। इस अवसर पर भाषा विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तक 'दाग' (लेखक नथानिएल हॉथोर्न) तथा जोगिंदर कौर अग्निहोत्री के उपन्यास 'निम्म वाला बार' का विमोचन किया गया। अंत में उपनिदेशक सतनाम सिंह ने सभी का धन्यवाद किया।
29-06-2025 15:34:54