विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने ग्राम अजरौर और खीरी रणवां में किसानों को सरफेस सीडर के संबंध में प्रशिक्षण दिया।

विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने ग्राम अजरौर और खीरी रणवां में किसानों को सरफेस सीडर के संबंध में प्रशिक्षण दिया।

पटियाला, 31 अक्टूबर (परमजीत सिंह परवाना)
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने पटियाला जिले के अजरौर और खीरी रणवा (बाहरू) गांवों में किसानों को पराली प्रबंधन और गेहूं की बुआई के लिए नवीनतम मशीनरी सरफेस सीडर का डेमो दिया। इस मौके पर विशेषज्ञों ने किसानों द्वारा सरफेस सीडर के संबंध में पूछे गए सवालों के जवाब दिए और किसानों को इस नई मशीनरी का प्रयोग कर गेहूं की सफल बुआई करने के लिए प्रोत्साहित किया।
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय से मशीन का आविष्कार करने वाले इंजीनियर डॉ. जसवीर सिंह गिल ने गांव अजरौर में किसान जय सिंह और गांव खेड़ी रणवा में किसान स्वर्ण सिंह के खेतों में सतही बीजारोपण के उपयोग के बारे में किसानों को प्रशिक्षण दिया। उर्वरकों को एक साथ डाला जाता है, जबकि डंठल को कटर से काटा जाता है और मल्चिंग के रूप में पूरे खेत में फैलाया जाता है। उन्होंने बताया कि इस मशीनरी से तीन काम एक साथ होते हैं, जिसमें पराली प्रबंधन, गेहूं की बुआई और खेतों में खाद डालना किसान एक ही समय में पूरा कर लेता है।
डॉ. जसवीर सिंह गिल ने सरफेस सीडर से गेहूं की सफल बुआई दिखाते हुए किसानों को बताया कि बुआई से पहले बीजों को कीटनाशकों और फफूंदनाशकों से उपचारित करना बहुत जरूरी है। तथा बुआई के बाद खेत में हल्का पानी लगाना चाहिए क्योंकि सरफेस सीडर से बुआई करने पर खेत पूरी तरह से सूखे रहते हैं। और अंकुरण के लिए खेत में हल्का पानी लगाना जरूरी है और अधिक पैदावार के लिए किसानों को खेतों में नाली भी छोटी बनानी चाहिए, इससे पानी और उर्वरक डालने में भी आसानी होती है.
इस मौके पर किसान जय सिंह व अन्य किसानों ने सरफेस सीडर से की गई बुआई पर संतोष जताया और कहा कि इससे पराली की समस्या तो हल हो गई है, साथ ही गेहूं की बुआई व खाद देने में समय व धन की भी बचत होगी। उन्होंने अन्य किसानों को भी इस नई तकनीक को अपनाने के लिए प्रेरित किया।