लोकतंत्र और भारतीय न्यायपालिका के समक्ष चुनौतियों पर सेमिनार आयोजित

चंडीगढ़, 23 अक्टूबर- ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन की चंडीगढ़ इकाई द्वारा 'लोकतंत्र और भारतीय न्यायपालिका के समक्ष चुनौतियां' विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन संघ के राष्ट्रीय नेता एवं प्रभारी उत्तरी क्षेत्र श्री गुरमेज सिंह की अध्यक्षता में किया गया।

चंडीगढ़, 23 अक्टूबर- ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन की चंडीगढ़ इकाई द्वारा 'लोकतंत्र और भारतीय न्यायपालिका के समक्ष चुनौतियां' विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन संघ के राष्ट्रीय नेता एवं प्रभारी उत्तरी क्षेत्र श्री गुरमेज सिंह की अध्यक्षता में किया गया। . इस अवसर पर प्रमुख विचारक डाॅ. प्रिय लाल गर्ग, जिला बार एसोसिएशन चंडीगढ़ के उपाध्यक्ष श्री रजत बख्शी, लाइब्रेरी सचिव श्री गुरदेव सिंह, चंडीगढ़ के यूनियन अध्यक्ष करम सिंह वकील और सचिव मुहम्मद शाहनाज गोरसी विशेष रूप से शामिल हुए।
इस अवसर पर डाॅ. प्रिय लाल गर्ग ने कहा कि भारत के संविधान के अनुसार जनता द्वारा बनाई गई सरकार जनता की सेवक न होकर अपने ही जन्मदाता देशवासियों की माई-बाप बन गई है। नागरिकों से संवाद करने, विभिन्न विचारों को सुनने और स्वीकार करने, विरोध का सम्मान करने, विरोध और बहस करने और असहमत होने पर इनकार करने का अधिकार छीना जा रहा है, जो लोकतंत्र की हत्या के समान है। उन्होंने कहा कि जब देश के 45 प्रतिशत नेता आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं तो आम जनता को वकीलों और न्यायपालिका से कोई उम्मीद नहीं है और भारतीय न्यायपालिका ने कई मामलों में राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को जन-समर्थक फैसलों को पलटने के लिए मजबूर किया है. .
श्री गुरमेज सिंह ने कहा कि सरकार ने 1975 से 1977 तक देश में आपातकाल लगाकर मानवाधिकारों का उल्लंघन किया. ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन की स्थापना 1982 में हुई थी और हमने कई मुद्दों पर संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि आज फिर भारतीयों को अपने अस्तित्व के लिए लड़ना पड़ रहा है. श्री गुरदेव सिंह ने कहा कि सेमिनार का विषय देश की वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार उपयुक्त है।
इससे पहले रजत बख्शी ने सेमिनार में आये अतिथियों का स्वागत किया. कार्यक्रम के अंत में यूनियन की चंडीगढ़ इकाई के अध्यक्ष करम सिंह वकील ने अतिथियों का धन्यवाद किया। मंच का संचालन मोहम्मद शाहनाज गोरसी ने किया। इस अवसर पर उपरोक्त के अतिरिक्त सर्वश्री सगीर अहमद, राकेश गुप्ता, आर. एस। साथी, अशोक राणा, बलजीत कौर भुल्लर, नीरू शर्मा, विशाली, सुनील नारंग, एस. एस. राणा, पी. सी। कुंडल, हरगुन सिंह भाटिया, सुनील कुमार, भूपिंदर सिंह सांगवान, कंवलजीत सिंह, राणा प्रताप सिंह गिल, पवन कुमार, जगतार सिंह, रमिंदरपाल सिंह, अमरजीत शर्मा, अमर नाथ, सुनील कुमार आर्य, बी. एस। बिष्ट, अमनदीप सिंह, जसवीर सिंह, संजीव कुमार, हेमन्त, प्रवीण कुमार, पी. क। भाटिया, करम कुमार पवार, मंजीत शर्मा, विशाल कुमार और रणवीर सिंह समेत सौ से अधिक वकील शामिल हुए।