
बरसात के मौसम में गंदा पानी, अनुचित स्वच्छता और प्रदूषण बीमारियों का मुख्य कारण
लुधियाना-04-जुलाई-2024:- अच्छे स्वास्थ्य के लिए साफ पानी बहुत महत्वपूर्ण है। पीने के लिए, दांत साफ करने, हाथ धोने, नहाने और भोजन बनाने के लिए पानी रसायनों और हानिकारक कीटाणुओं से मुक्त होना चाहिए,
लुधियाना-04-जुलाई-2024:- अच्छे स्वास्थ्य के लिए साफ पानी बहुत महत्वपूर्ण है। पीने के लिए, दांत साफ करने, हाथ धोने, नहाने और भोजन बनाने के लिए पानी रसायनों और हानिकारक कीटाणुओं से मुक्त होना चाहिए, अन्यथा पानी परजीवियों के माध्यम से हमारे लिए बड़ी बीमारियों का कारण बनता है। पीलिया, दस्त, हैजा जैसी कई बीमारियाँ, टाइफाइड, हेपेटाइटिस और फूड पॉइजनिंग गंदे और दूषित पानी के सेवन से होती है। बरसात के मौसम में इन बीमारियों के बारे में यह जानकारी गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी लुधियाना के सेंटर फॉर वन हेल्थ के निदेशक डॉ जसबीर सिंह बेदी ने साझा की ।
बरसात के मौसम में इन बीमारियों की समस्या बहुत बढ़ जाती है, क्योंकि पीने के पानी में गंदे पानी का मिलना एक प्रमुख कारण है। ये बीमारियाँ परजीवी, बैक्टीरिया और वायरस के रूप में इंसानों को बीमार बनाती हैं। ये रोगज़नक़ मानव आंतों को प्रभावित करते हैं, क्योंकि रोग पैदा करने वाले सूक्ष्मजीव दूषित पानी के माध्यम से सीधे मानव शरीर में प्रवेश करते हैं। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, यह पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु का प्रमुख कारण है। दुनिया में इसके कारण ही हैजा और डायरिया जैसी बीमारियाँ पैदा होती हैं। इनमें से अधिकतर मौतें दूषित पानी, खराब स्वच्छता और खराब सीवेज निपटान प्रणालियों के कारण होती हैं। विकासशील देशों में बच्चे सबसे ज्यादा पीड़ित हैं।
वेटरनरी यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर वन हेल्थ के विशेषज्ञों ने कहा कि बरसात के मौसम में पानी की रुकावट, सीवेज का रुक जाना और पीने योग्य पानी में दूषित पानी के मिलने से बीमारियाँ फैलती हैं। इसके अलावा, रुके हुए पानी में मच्छर अधिक पैदा होते हैं और इन्हीं मच्छरों से डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियाँ फैलती हैं। नागरिकों को अपने आवासीय क्षेत्रों के पास पानी जमा नहीं होने देना चाहिए और उचित जल निकासी चैनल भी बनाए रखना चाहिए।
जल भंडारण टंकियों और बर्तनों को भी साफ रखना चाहिए क्योंकि इनमें कई कीटाणु जमा होते हैं। इन टंकियों को साल में दो बार पूरी तरह से कीटाणुरहित किया जाना चाहिए और नियमित रूप से पानी का परीक्षण किया जाना चाहिए। घरों में इस्तेमाल होने वाले पानी के फिल्टर भी अच्छी क्वालिटी के होने चाहिए और उन्हें समय-समय पर साफ करना बहुत जरूरी है।
यदि पानी को लेकर कोई संदेह हो तो उसकी जांच किसी विश्वसनीय प्रयोगशाला से करानी चाहिए, ऐसी सुविधा वेटरनरी यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर वन हेल्थ में भी उपलब्ध है। पानी की स्वच्छ आपूर्ति और स्वस्थ आदतें अपनाकर हम कई बीमारियों से बच सकते हैं।
