84 जून के खूनी नरसंहार की 40वीं बरसी पर सभी शहीदों की याद में पौधे लगाए गए।

नवांशहर - श्री गुरु रामदास सेवा सोसायटी, नवांशहर ने जून 1984 में श्री दरबार साहिब और अन्य 37 गुरुद्वारों पर सैन्य हमले के कारण हुए खूनी नरसंहार की 40वीं बरसी को समर्पित शहीदों के समूह की याद में पौधे लगाए। इस अवसर पर बोलते हुए, सोसायटी के अध्यक्ष श्री सुखविंदर सिंह थांडी ने कहा कि जून 1984 का घल्लूघारा सिख समुदाय पर अत्याचार की एक दर्दनाक गाथा है,

नवांशहर - श्री गुरु रामदास सेवा सोसायटी, नवांशहर ने जून 1984 में श्री दरबार साहिब और अन्य 37 गुरुद्वारों पर सैन्य हमले के कारण हुए खूनी नरसंहार की 40वीं बरसी को समर्पित शहीदों के समूह की याद में पौधे लगाए। इस अवसर पर बोलते हुए, सोसायटी के अध्यक्ष श्री सुखविंदर सिंह थांडी ने कहा कि जून 1984 का घल्लूघारा सिख समुदाय पर अत्याचार की एक दर्दनाक गाथा है, जो भारतीय राज्य की सिख विरोधी साजिशों का परिणाम था। “सिखों को दबाने और उत्पीड़ित करने की नीति 1947 में विभाजन के समय से शुरू हुई। श्री हरमंदिर साहिब, श्री अकाल तख्त साहिब और अन्य गुरुद्वारों पर सैन्य हमलों से सिख समुदाय नष्ट हो गया। लेकिन सिख योद्धाओं ने इतिहास से सीख ली और बहादुरी से दुश्मन सेना का सामना किया और शहादत हासिल की। उन्होंने बताया कि जून 1984 में सिख विरोधी दंगों में मारे गए शहीदों की याद में सोसायटी सदस्यों द्वारा बंगा रोड नवांशहर डिवाइडर पर फलदार व फूलों के पौधे लगाए गए। इस अवसर पर अमरजीत सिंह खालसा ने कहा कि जून 1984 में सिखों के अपमानजनक नरसंहार में हजारों निर्दोष सिखों को अपनी जान गंवानी पड़ी। उन्होंने कहा कि शहीदों की याद में आज ये पौधे लगाए गए हैं और यही संदेश देने का प्रयास किया गया है चाहे आप कितने भी बुरे और अत्याचारी क्यों न हों, गुरु नानक के सिख केवल समग्र भलाई के लिए ही बात करेंगे। ये पेड़ हमेशा यह संदेश देते रहेंगे कि चाहे किसी को काटने की कितनी भी कोशिश कर लो, गिराने की कितनी भी कोशिश कर लो लेकिन देश फिर खड़ा होगा। इस मौके पर अध्यक्ष सुखविंदर सिंह थांदी, अमरजीत सिंह खालसा, हरप्रीत सिंह, कुलदीप सिंह, हरमनजीत सिंह, जसप्रीत सिंह, आजाद, सुखविंदर सिंह ग्वान, हरगुनप्रीत कौर, कमलजीत कौर, ब्रिजेश कुमार और जसविंदर सिंह मौजूद रहे.