
पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ ने एकम मानुके द्वारा लिखित नाटक “सोहनी महिवाल” के शो के साथ अपने पांच दिवसीय वार्षिक प्रोडक्शन थिएटर महोत्सव का समापन किया।
चंडीगढ़ 31 मई, 2024:- पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के भारतीय रंगमंच विभाग ने एकम मानुके द्वारा लिखित नाटक “सोहनी महिवाल” के शो के साथ अपने पांच दिवसीय वार्षिक प्रोडक्शन थिएटर महोत्सव का समापन किया। इस नाटक का डिजाइन और निर्देशन पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के भारतीय रंगमंच विभाग की अध्यक्ष डॉ. नवदीप कौर ने किया है। इस वर्ष का वार्षिक प्रोडक्शन विभाग के संस्थापक निदेशक पद्मश्री प्रो. बलवंत गार्गी की स्मृति में समर्पित है।
चंडीगढ़ 31 मई, 2024:- पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के भारतीय रंगमंच विभाग ने एकम मानुके द्वारा लिखित नाटक “सोहनी महिवाल” के शो के साथ अपने पांच दिवसीय वार्षिक प्रोडक्शन थिएटर महोत्सव का समापन किया। इस नाटक का डिजाइन और निर्देशन पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के भारतीय रंगमंच विभाग की अध्यक्ष डॉ. नवदीप कौर ने किया है। इस वर्ष का वार्षिक प्रोडक्शन विभाग के संस्थापक निदेशक पद्मश्री प्रो. बलवंत गार्गी की स्मृति में समर्पित है।
सुश्री हरगुनजीत कौर, आईएएस, सचिव पर्यटन, चंडीगढ़ प्रशासन और श्री केपीएस माही, पीसीएस (सेवानिवृत्त) पूर्व एडीसी, संयुक्त सचिव गृह चंडीगढ़ प्रशासन समापन शो के विशेष अतिथियों में शामिल थे।
सभी पांच शो को दर्शकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली और सभी शो खचाखच भरे हुए थे। समापन शो को भी दर्शकों ने खड़े होकर तालियां बजाईं और अधिक शो देखने का अनुरोध किया। दर्शकों की भारी मांग पर विभाग जल्द ही शो की अगली तारीखों की घोषणा करेगा।
सोहनी महिवाल पंजाब और सिंध की सबसे प्रमुख काव्य कथाओं में से एक है। यह प्रेम और बलिदान की कहानी है, इसकी पटकथा और कहानी सूफी कवियों फजल शाह, हाशिम शाह, बुल्ले शाह आदि के गीतों और कलामों से बुनी गई है।
प्रदर्शन पंजाबी भाषा में था और इसे संपूर्ण रंगमंच का अनुभव देने के लिए तैयार किया गया था।
नाटक की निर्देशक डॉ. नवदीप कौर ने बताया कि युवा पीढ़ी के साथ अपनी जड़ों और परंपराओं को तलाशना एक बेहतरीन अनुभव है। इस नाटक में एमए-1 और एमए-2 के सभी विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया है। डॉ. नवदीप कौर ने आगे बताया कि 40 विद्यार्थियों के साथ दो घंटे के इस नाटक को तैयार करना एक चुनौती थी और वह भी तब जब अधिकतर विद्यार्थी पंजाब क्षेत्र से नहीं थे, लेकिन 45 दिनों की दिन-रात की मेहनत से यह संभव हो पाया।
दर्शकों ने नाटक के डिजाइन, निर्देशन और लाइव संगीत की प्रशंसा की। डॉ. तेजिंदर सिंह ने नाटक का लाइव संगीत तैयार किया है तथा मुख्य गायन भी किया है जो नाटक की जीवन रेखा है तथा नाटक की प्रकाश व्यवस्था श्री अवतार सिंह साहनी द्वारा डिजाइन की गई है।
