शिक्षा विभाग पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ द्वारा एक विशेष व्याख्यान अंबेडकर विजन ऑफ एजुकेशन का आयोजन किया गया।

चंडीगढ़ 22 अप्रैल 2024:- आज दिनांक 22 अप्रैल 2024 को शिक्षा विभाग पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ द्वारा एक विशेष व्याख्यान अंबेडकर विजन ऑफ एजुकेशन का आयोजन किया गया। ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड रिसर्च, मोहाली’ के डॉक्टर प्रशांत इंगोले मुख्य वक्ता रहे। कार्यक्रम की शुरुआत में विभागाध्यक्षा प्रोफेसर सतविंदरपाल कौर ने मुख्य वक्ता से सभी को अवगत करवाया। व्याख्यान की शुरुआत इंगोले जी ने अंबेडकर जी के स्कूल के दिनों से की जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने भेदवाव का सामना किया।

चंडीगढ़ 22 अप्रैल 2024:- आज दिनांक 22 अप्रैल 2024 को शिक्षा विभाग पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ द्वारा एक विशेष व्याख्यान अंबेडकर विजन ऑफ एजुकेशन का आयोजन किया गया। ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड रिसर्च, मोहाली’ के डॉक्टर  प्रशांत इंगोले मुख्य वक्ता रहे। कार्यक्रम की शुरुआत में विभागाध्यक्षा प्रोफेसर सतविंदरपाल कौर ने मुख्य वक्ता से सभी को अवगत करवाया। व्याख्यान की शुरुआत इंगोले जी ने अंबेडकर जी के स्कूल के दिनों से की जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने भेदवाव का सामना किया। प्रशान्त जी ने बताया कि बाबा साहेब कोलोम्बिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट करने वाले पहले भारतीय थे। अंबेडकर जी के जीवन पर उनके गुरुओं महात्मा ज्योतिबा फुले, गौतम बुद्ध और महात्मा कबीर ने गहरी छाप छोड़ी और वे इनसे शिक्षा के क्षेत्र योगदान के लिए प्रेरित हुए। आज महिलाओं की शिक्षा में जो भी  भागीदारी है उसमें ज्योतिबा जी और अंबेडकर जी का मुख्य योगदान रहा है। इंगोले जी ने बताया कि वर्तमान समय में उच्च शिक्षण संस्थानों अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों के साथ भेदवाव किया जा रहा है! इसी कड़ी मैं इंगोले जी ने बताया कि अंबेडकर जी ने विभिन्न शिक्षण संस्थान खोले और वे हमेशा से ही महिला सशक्तिकरण और महिला अधिकारों के समर्थक रहे साथ ही  जॉन डीवी के विचारों का भी अंबेडकर जी के उपर गहरा प्रभाव रहा।  अंत में इंगोले जी ने यह कहते हुए व्याख्यान का समापन किया की शिक्षा ही एकमात्र ऐसा साधन है जिससे हम सामाजिक और नैतिक तौर पर सक्षम बन सकते हैं। कार्यक्रम के अंत में विभागाध्यक्षा प्रोफ़ेसर सतविंदरपाल कौर ने समृति चिह्न देकर मुख्य वक्ता का धन्यवाद किया और भविष्य में इस तरह के और कार्यक्रम आयोजित करने के लिए शोधार्थियों को प्रेरित किया।